भारत ने ब्रिटिश संसद में कृषि कानूनों पर चर्चा को लेकर मंगलवार को कड़ा विरोध जताया. केंद्र सरकार ने ब्रिटिश हाई कमिश्नर को तलब किया और ब्रिटिश संसद में हुई चर्चा को लेकर अपनी कड़ा आपत्ति दर्ज की. विदेश सचिव ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और ब्रिटिश संसद में भारत के कृषि सुधारों पर बहस को अवांछित और विवादास्पद बताते हुए सख्त ऐतराज जताया.
कृषि कानूनों को लेकर ब्रिटिश संसद में हो रही चर्चा पर भारत सरकार ने जताया कड़ा विरोध
विदेश सचिव ने ब्रिटिश सरकार को यह स्पष्ट कर दिया है कि यह किसी अन्य लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूरी तरह से दखलंदाजी है. उन्होंने तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहे ब्रिटिश सांसदों से वोट बैंक की राजनीति से दूर रहने की सलाह दी, खासकर सहयोगी लोकतंत्र के बारे में ऐसी कवायद को लेकर आगाह किया.
जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने ब्रिटिश सरकार को यह स्पष्ट कर दिया कि यह किसी अन्य लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूरी तरह से दखलंदाजी है. उन्होंने तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहे ब्रिटिश सांसदों से वोट बैंक की राजनीति से दूर रहने की सलाह दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा था कि कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी. अनेक किसान संगठन भी पहले से मांग करते थे कि अनाज को कहीं भी बेचने का विकल्प दिया जाए.
कृषि कानूनों को लेकर ब्रिटिश संसद में हो रही चर्चा पर भारत सरकार ने जताया कड़ा विरोध
आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वो भी अपने समय में इन सुधारों का समर्थन करते रहे हैं. वो किसानों को बस झूठे दिलासे देते रहे. जब देश ने ये कदम उठा लिया तो वो अब किसानों को भ्रमित कर रहे है.
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