पत्नी ने नहीं बनाई सेव की सब्जी तो 17 साल तक दूर रहा पति, जज ने 50 रुपए देकर बनवाई सब्जी, ऐसे हुई सुलह

 

पत्नी ने नहीं बनाई सेव की सब्जी तो 17 साल तक दूर रहा पति, जज ने 50 रुपए देकर बनवाई सब्जी, ऐसे हुई सुलह

इस मामले को सुनकर आप भी काफी हैरान हो जाएंगे. यह मामला है मध्य प्रदेश के एक शहर देवास का. यहां रहने वाले एक व्यक्ति ने एक छोटी सी वजह के चलते 17 सालों तक अपनी पत्नी के साथ कोई भी संबंध कायम नहीं किया .

दुनिया में आए दिन कई घटनाएं घटित होती हैं. लेकिन कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो चर्चा का विष बन जाती है. ऐसी ही एक घटना के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. इस मामले को सुनकर आप भी काफी हैरान हो जाएंगे. यह मामला है मध्य प्रदेश के एक शहर देवास का. यहां रहने वाले एक व्यक्ति ने एक छोटी सी वजह के चलते 17 सालों तक अपनी पत्नी के साथ कोई भी संबंध कायम नहीं किया . अब आपके मन भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर वह कौन सी वजह से जिसके चलते एक पति -पत्नी के बीच, कोई संबंध स्थापित नहीं हो सका. 
दरअसल मामला  देवास में रहने वाले विमलराव का है. विमलराव की उम्र 79 है और उनकी पत्नी की उम्र 72 है. रिटायरमेंट के बाद विमलराव ने मकान, पेंशन समेत सबकुछ पत्नी के नाम कर दिया.  एक दिन विमलराव ने पत्नी से सेव की सब्जी बनाने के लिए कहा, लेकिन पत्नी ने मना कर दिया. इस बात पर विमलराव को इतना गुस्सा आया कि वह बिना बताए ही घर से चले गए.
घर से जाने के बाद विमलराव महाराष्ट्र के बुलढाना के मातोड़ गकांव में रहने लगे और पेंशन भी पत्नी के नाम से हटाकर अपने नाम कर दी. तभी मालूम हुआ कि मातोड़ गांव से पेंशन की रकम निकाली जा रही है. पुलिस वहां पहुंची और विमलराव को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट में विमलराव ने अपनी कहानी बताई और कहा कि पत्नी सेव की सब्जी बनाकर नहीं खिला सकती तो उसे पैसे किस लिए दूं? तभी जज ने 50 रुपए देकर सेव मंगवाई और विमलराव की पत्नी को दी साथ ही घर पर सेव की सब्जी बनाकर पति को खिलाने का आदेश भी दिया. घर जाकर पत्नी ने सेव की सब्जी बनाई जिससे पति-पत्नी के बीच की दूरा खत्म हो गई और दोनों एक हो गए.



पत्नी ने नहीं बनाई सेव की सब्जी तो 17 साल तक दूर रहा पति, जज ने 50 रुपए देकर बनवाई सब्जी, ऐसे हुई सुलह पत्नी ने नहीं बनाई सेव की सब्जी तो 17 साल तक दूर रहा पति, जज ने 50 रुपए देकर बनवाई सब्जी, ऐसे हुई सुलह Reviewed by NEWS IBC on जनवरी 07, 2021 Rating: 5

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