किसान आंदोलनकारियों ने ठण्ड की मार झेल ली अब बारी है चिलचिलाती धूप और लू
किसान आंदोलनकारियों ने ठण्ड को हरा दिया पर आंदोलन जिस प्रकार चल रहा ही उससे लगता है सरकार को अपनी मांग समझाने में कुछ समय और ही लगेगा. किसान आंदोलनकारियों इस बात को समझ गए है कि सरकार को समझने चाहे जितना समय लगे, वे सरकार को समझाने की पूरी कोशिश करेगें. सरकार और किसानों के बीच कई बार बात भी हुई पर इसका कोई हर नहीं निकल पाया है.
किसान आंदोलनकारियों ने ठण्ड की मार झेल ली अब बारी है चिलचिलाती धूप और लू
100 दिनों से भी ज्यादा समय से बैठे किसान यह मान चुके हैं कि गर्मियां दिल्ली की सीमाओं पर ही बितानी है, ऐसे में चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों से बचने के लिए बांस का घर बना रहे है. गर्मी से बचने के लिए ईट और गारे के घरों के अलावा बांस के घर (Bamboo House) भी बनाये जा रहे हैं. सिंघु बॉर्डर (Singhu) पर जींद से आये किसानों और कारीगरों ने एक बांस का घर बनाया है, जो 25 फ़ीट लम्बा,12 फ़ीट चौड़ा और 15 फुट ऊंचा है. इसमें 15-16 लोग आराम से सो सकते हैं.
गांव के नुस्खों और उपायों के साथ-साथ यहां आधुनिकता का भी पूरा ख्याल रखा गय़ा है. बांस के इस घर में बिजली का कनेक्शन है, छतों पर पंखे लगे है और कूलरों का भी इंतजाम किया गया है. ताकि गर्मी की वजह से आंदोलन की धार कम न होने पाए. किसानों ने इसे सिर्फ पांच दिनों में तैयार किया है.
किसान आंदोलनकारियों ने ठण्ड की मार झेल ली अब बारी है चिलचिलाती धूप और लू
जानकारी के लिए बता दें कि जैसे-जैसे मौसम अपने तेवरों को बदल रहा है, वैसे-वैसे किसान अपनी रणनीति भी बदल रहे हैं. 100 दिनों से भी ज्यादा समय से बैठे किसान यह मान चुके हैं कि गर्मियां दिल्ली की सीमाओं पर ही बितानी है, ऐसे में चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों से बचने के लिए बांस का घर बना रहे है.
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