तसलीमा नसरीन : जब पूरी दुनिया को अल्लाह ने बनाया फिर कोरोना के डर से मक्का क्यों बंद कर दिया
ध/र्म एक ऐसी चीज़ हैं जो इंसान को इंसान बनाये रखने में मदद करती हैं. दुःख में उसे प्रेरणा देती है और सु:ख में एहंकारी बनने से बचाती हैं. लेकिन यह ध/र्म तभी तक एक खूबसूरत चीज हैं जब तक इसमें और इसको मानने वाले लोगों के बीच कोई व्यक्ति न आ जाये.मु/स्लिम ध/र्म में ऐसे लोगों को मौलवी कहा जाता हैं, या लोग ध/र्म के मायनों को ही बदल देते हैं और इंसान कब जा/नवर से ज्यादा खूं/खार बन जाता हैं. यह उसे भी पता नहीं चलता. इसका नतीजा पूरी मानवता को आ/तंकवाद के रूप में देखने और महसूस करने को भी मिला.
पूरी दुनियां की निगाहें इस वक़्त दुनिया भर के वैज्ञानिकों पर टिक्की हुई हैं. पवित्र जल, अमृत, जम-जम सभी तरह के पानी इस वक़्त को/रोना वायरस से लोगों को नहीं बचा पा रहे. जो पादरी बड़ी-बड़ी स्टेजों पर एड्स जैसी बिमारी ठीक करने का दावा करते हैं वह खुद इससे बचने के लिए मास्क लगाकर घूम रहे हैं.
इसी को लेकर मु/स्लिम फिलॉस्फर तसलीमा नसरीन ने अपने ट्विटर पर लिखा है की, “अल्लाह का घर काबा बंद है. मस्जिदें बंद हैं. चर्च की सेवाएं स्थगित हैं. किसी भी प्रार्थना कक्ष में पूजा के लिए अधिक भीड़ नहीं. कोई भगवान हमारी मदद नहीं करेगा. वैज्ञानिक हमारी मदद करेंगे. हम वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. नास्तिक बनने के लिए सबसे अच्छा समय.”
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